Dr Rajaram बैंक अधिकारी छोड़ क्यों बने किसान?
छत्तीसगढ़ के बस्तर से Dr Rajaram त्रिपाठी एक ऐसे किसान है जिनके पास अपना खुद का हेलीकाप्टर है, एक सामान्य परिवार में जन्मे डॉ त्रिपाठी ने यह साबित कर दिया की अच्छी (Royal) जिंदगी सिर्फ बिजनेसमैन या नेता ही नहीं जीते एक किसान भी अपनी सूझ बुझ से वह मुकाम हासिल कर सकता है, आईये आज हम आपको बताते है बस्तर के उस किसान के बारे में जिन्होंने 25 गाँव के लोगो को रोजगार दिया हुआ है।
बैंक की नौकरी छोड़ शुरू की थी खेती
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से Dr Rajaram के दादा शंभुनाथ त्रिपाठी करीब 70 साल पहले छत्तीसगढ़ आ गए थे और ककनार में किसानी करने लगे थे । राजाराम त्रिपाठी के पिता जगदीश त्रिपाठी पेशे से शिक्षक थे यही वजह रही की राजाराम त्रिपाठी की शिक्षा दीक्षा उच्च स्तरीय रही।
यह भी पढ़ें: फलो की रानी (Mangosteen) जिसे Britain की महारानी करती थी पसंद
सबसे बड़ी बात राजाराम ने किसानी किसी मज़बूरी में नहीं की उनका चयन पढ़ाई के बाद स्टेट बैंक आफ इंडिया में प्रोबेशनर अधिकारी (PO) पद पर हो गया था और उनको प्रेरणा भी बैंक से ही मिली जब किसानो की ऋण रिकवरी ( Recovery ) समाधान के केस (Case) उनके सामने आने लगे जिससे उनको यह समझने का मौका मिला की ऐसा क्यों है की सबका पेट भरने वाला किसान इतना परेशान क्यों?
फिर यही से उनके किसान बनने की कहानी शुरू हुई , साल 1996 में पांच एकड़ से सब्जी की खेती शुरू करने के बाद मूसली और अश्वगंधा की खेती में लाभ मिला और उन्होंने फिर बैंक की नौकरी छोड़ दी, नौकरी छोड़कर उन्होंने अपना समय क्रिएटिव फार्मिंग ( Creative Farming ) में देना शुरू किया।
शुरुआत रहा मुश्किलों भरा
साल 2002 में डॉ त्रिपाठी दीवालियाँ हो गए वजह थी सफ़ेद मूसली के दामों में गिरावट, लेकिन Dr Rajaram ने हार नहीं मानकर एक समूह का गठन किया, डॉक्टर राजा राम त्रिपाठी को सफलता मिली उनके स्टार्टअप ( Startup ) से जिसका नाम दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप ( Danteshwari Herbal Group ) है जिसकी स्थापना उन्होंने 1999 में की थी, आज यह एक बहुत बड़ा स्टार्टअप बन चूका है जिसमे 25 गाँव के लोग काम कर रहे है ।
Dr Rajaram कलाम जी को अपना आदर्श मानते है और हर्बल इंडस्ट्री को स्थापित करना चाहते है उनका मानना है की हमारे देश में हर्बल प्रोडक्ट बनाने की अपार संभावना है बजाये इसके हम विदेशी उत्पादों को ज्यादा प्रयोग करते है।
Dr Rajaram ने जड़ी बूटियों को संरक्षित करने के लिए बड़ा स्टेप लिया और एक जंगल ही लगा दिया क्योकि जड़ी बूटियों के लिए एक अनुकूल पर्यावरण होना चाहिए, उनका मानना है की जड़ी बूटियों का एक परिवार होता है जिसको ध्यान में रखना होता है।
जड़ी बूटियों को खेती के विकसित करने के लिए प्रशिक्षण की जरुरत पड़ती है जिसके लिए डॉ राजाराम त्रिपाठी ने कई सारे देशो का सफर किया और आज वह पुरे छत्तीसगढ़ के लिए एक आदर्श है , आस पास के ग्रामीण इलाकों में एक बड़ा रोजगार का अवसर भी प्रदान किया है।
Dr Rajaram आदिवासी परिवार से बहुत अच्छे से जुड़े हुए है। निश्चित तौर पर डॉ राजाराम ने क्षेत्रवाद को समाप्त करते हुए एक बड़ा उदहारण प्रस्तुत किया है। किसान सत्ता परिवार की तरफ से डॉ राजाराम त्रिपाठी को ढेर सारी शुभकामनाये ।
Dr Rajaram बैंक अधिकारी की नौकरी छोड़कर करने लगे किसानी – Tweet This?