Sultanpur चुनाव 2024 का समीकरण
प्रदेश की राजधानी से लगभग डेढ़़ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुल्तानपुर (Sultanpur) जिला अपने आप में कई ऐतिहासिक तथ्यों के लिए जाना जाता है व सियासत में भी यह लोकसभा सीट अहम मानी जाती है यहाँ पर मौजूदा समय में भाजपा का कब्जा है गाँधी परिवार की बहू मेनका गांधी देश के निम्न सदन में सुल्तानपुर का प्रतिनिधित्व करती हैं ! इस सीट से आज तक कभी भी समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी जीत नहीं दर्ज कर सका है किंतु समूचे प्रदेश में पीडीए का नारा बुलंद करने वाली समाजवादी पार्टी ने इस बार यहां से पिछड़ा कार्ड खेलते हुए भीम निषाद को अपना प्रत्याशी बनाया है देखना दिलचस्प होगा क्या समाजवादी पार्टी सुल्तानपुर में पहली बार अपना सांसद बना पाती है या नहीं?
सुल्तानपुर लोकसभा सीट का इतिहास
सुल्तानपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से कांग्रेस ने आठ बार जीत हासिल की है, जबकि भाजपा को पांच बार जीत मिली है। बसपा को दो बार और जनता दल को एक बार जीत मिली। इस सीट पर पहली बार 1951-52 के चुनाव में वोटिंग हुई थी। उस चुनाव में कांग्रेस के बीवी केसकर ने जीत दर्ज की थी। साल 1957 में कांग्रेस के गोविंद मालवीय, साल 1963 में कांग्रेस के कुंवर कृष्ण वर्मा, साल 1967 में गणपत सहाय और साल 1971 में कांग्रेस के केदारनाथ सिंह ने जीत दर्ज की थी।
1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के जुल्फिकारुल्ला ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, इसके बाद साल 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के गिरिराज सिंह और साल 1984 में कांग्रेस राज करण सिंह ने जीत दर्ज की थी। 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के राम सिंह को जीत मिली।
बीजेपी को मिली पहली जीत
सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को पहली बार साल 1991 में जीत मिली। पार्टी उम्मीदवार विश्वनाथ दास शास्त्री ने जीत हासिल की। इसके बाद साल 1996 में बीजेपी के देवेंद्र बहादुर राय विजयी हुए। उन्होंने साल 1998 चुनाव में भी जीत हासिल की।
लगातार तीन बार चुनाव जीतने के बाद साल 1999 में बीजेपी को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा। बसपा प्रत्याशी जय भद्र सिंह को जीत मिली। एक बार फिर साल 2004 में बसपा उम्मीदवार ताहिर खान को इस सीट पर जीत मिली। साल 2009 में कांग्रेस ने संजय सिंह को चुनाव में उतारा और उनको जीत हासिल हुई।
2014 में वरुण गांधी ने दर्ज की जीत
2014 में पहली बार वरुण गांधी को भाजपा ने इस सीट से उम्मीदवार बनाया। वरुण गांधी ने बसपा उम्मीदवार पवन पांडे को भारी अंतर से हराया था, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वरुण गांधी के बदले उनकी मां मेनका गांधी को उम्मीदवार बनाया। मेनका गांधी ने इस सीट पर जीत दर्ज की।
2019 में मेनका ने बसपा प्रत्याशी को दी थी मात
2019 के लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर से बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी ने जीत हासिल की थी। मेनका गांधी को बीजेपी ने सुल्तानपुर सीट से उम्मीदवार बनाया था। मेनका गांधी ने बीएसपी उम्मीदवार चंद्र भद्र सिंह को मात दी थी। मेनका गांधी को 4 लाख 59 हजार 196 वोट मिले थे, जबकि बसपा उम्मीदवार को 4 लाख 44 हजार 670 वोट मिले थे। कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. संजय सिंह को 41 हजार 681 मत प्राप्त हुए थे।
सुल्तानपुर सीट का जातीय समीकरण-
सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर 80 फीसदी आबादी हिंदू है। जबकि, 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। जबकि, अनुसूचित जाति की आबादी 21.29 फीसदी है और अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.02 फीसदी है। इस सीट पर मुस्लिम, राजपूत और ब्राह्मण मतदाता की संख्या भी ठीकठाक है। यह मतदाता इस सीट पर हार-जीत का समीकरण बनाते हैं।
मेनका के सामने भीम निषाद की चुनौती
जहां एक तरफ भाजपा ने अपनी मौजूदा सांसद मेनका गांधी पर पुनः भरोसा जताया है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने इस बार पिछड़ा वोट बैंक पर निशाना साधने के लिए अंबेडकरनगर निवासी भीम निषाद को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। मूल रूप से आजमगढ़ निवासी भीम शिक्षित चेहरे हैं। फिलहाल वे अंबेडकरनगर में रहते हैं। पिछले एक साल से भीम सुल्तानपुर में पूर्णरूप से सक्रिय हैं।
सियासी रुझान
सुल्तानपुर लोकसभा सीट का इतिहास कुछ इस तरह रहा है कि यहां पर 1991 में बीजेपी को पहली बार जीत मिली तथा कांग्रेस बसपा ने अपने प्रत्याशियों को जितवाने में कामयाबी पाई किंतु 2024 के लोकसभा आम चुनाव में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा सांसद मेनका गांधी को फिर से मैदान में उतारा है तो वही इंडिया गठबंधन की ओर से समाजवादी पार्टी के सिंबल पर भीम निषाद प्रत्याशी हैं साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी को महज़ लगभग 15000 मतों से जीत मिली थी उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह को मात दी थी उस समय समाजवादी पार्टी और बसपा का गठबंधन था किंतु आगामी लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार भीम निषाद होंगे बसपा प्रत्याशी घोषणा अभी तक शेष है !
सियासी जानकार बताते हैं कि इस सीट पर यदि बसपा द्वारा प्रभावशाली उम्मीदवार दिया गया तो मुकाबला त्रिकोणीय बन सकता है !