मिट्टी (Soil) की उपजाऊ क्षमता
मिट्टी (Soil) की उपजाऊ क्षमता: ज्यादा से ज्यादा पैदावार लेने के चक्कर में रासायनिक उर्वरक यानी कि केमिकल खाद के अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है जिससे पैदावार तो मिल जाती है लेकिन जमीन की सेहत ख़राब हो जाती है, एक समय के बाद जमीन ऊसर(बंजर) हो जाती है। समय रहते अगर मिट्टी (Soil) की जांच ना की जाये तो पैदावार भी कम होने लगता है, लगातार रासायनिक खाद के प्रयोग के चलते जमीन में पोषक तत्वों की कमी आ जाती है और धीरे-धीरे जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने लगती है।
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इससे फसल का उत्पादन घट जाता है। जमीन की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए गोबर और जैविक खाद का प्रयोग किसानों को करना चाहिए। वही उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग की गोष्ठियों के द्वारा किसानों को जागरूक किया जाने लगा है, इसका फायदा ये हुआ है कि अब पहले के मुकाबले खेतों की हालत अच्छी हुई है। आज किसान की यह एक बड़ी समस्या बन गयी है लेकिन समय रहते इस समस्या से बचा जा सकता है इसके लिए आपको कुछ कदम उठाने होंगे
गोमूत्र के उपयोग से मिट्टी (Soil) होगी स्वस्थ
ऐसे ही नहीं गाय को हमारे यहाँ माता का दर्जा मिला हुआ है उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में खेती में गोमूत्र का प्रयोग खेती में खूब हो रहा है, गोमूत्र के माध्यम से सरकार प्राकृतिक कीटनाशक और उर्वरक भी बनाने का काम कर रही है । गोमूत्र में नाइट्रोजन, गंधक, अमोनिया, कॉपर, यूरिया, यूरिक एसिड, फास्फेट, सोडियम, पोटैशियम, मैगनीज, कार्बोलिक एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं, इसके अलावा गोमूत्र में जीवामृत, बीजामृत भी बनाया जा सकता है जिससे जमीन उपजाऊ होती है।
मिट्टी (Soil) की उपजाऊ क्षमता बरकरार रखने के लिये जैविक खाद का उपयोग करें, आज कल हर किसान जैविक खाद को अपना रहा है आप भी इसका प्रयोग करके मिट्टी (Soil) को उपजाऊ बना सकते है
- देशी खाद/गोबर की खाद
- हरी खाद
- कचरे ( शहरी व ग्रामीण की खाद/कम्पोस्ट )
- केंचुआ खाद
- जीवाणु खाद आदि
समय समय पर मृदा परीक्षण कराये और उसके अनुसार रासायनिक उर्वरको का प्रयोग करे, फसल चक्र को ध्यान में रखते हुए एक दलहनी फसल जरूर उगाएं , फसल लगाने से पहले सूखे गोबर का इस्तेमाल करने के साथ जुताई समय पर कम्पोस्ट का प्रयोग करे ।
भूलकर भी खेत में पराली न जलाये, उसको एकत्रित करके सड़ा दीजिये सड़ाने के लिए बाजार से बायो डिकंपोजर कैप्सूल लेकर 4 कैप्सूल से 25 लीटर तक बायो डिकंपोजर घोल बनाया जा सकता है, 25 लीटर घोल में 500 लीटर पानी मिलाकर इसका छिड़काव ढाई एकड़ में किया जा सकता है इसकी मदद से आप पराली को सड़ा सकते है