आइये जानते है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इस मंदिर का चमत्कार
आपको यह जान कर आश्चर्य होगा की उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपूर में एक ऐसा मंदिर है जो मौसम की भविष्यवाणी करता है, हम सबको अब तक यही पता था की मौसम की जानकारी मौसम विभाग से ही मिलती है, लेकिन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से ये चौकाने वाली बात निकलकर आ रही है की मंदिर ने यह बताया की उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मानसून कब आएगा ।
कानपुर के घाटमपुर में बेहटा बुजुर्ग गांव में एक प्राचीन शिव जी का मंदिर स्थित है जो हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है, भगवान जगन्नाथ के प्राचीन मंदिर में भगवान की मूर्ति के ऊपर गुम्बज में एक पत्थर लगा है जो अभी से भीगने लगा है, लेकिन अभी उसमे से बुँदे नहीं निकल रही है । इन बूंदो को देखकर ही मानसून का अंदाजा लगाया जाता है और इसको लेकर आखिरी फैसला मंदिर के महंथ लेते है।
गाँव में स्थित यह मंदिर पुरे विश्व में मानसून मंदिर नाम से प्रसिद्ध है, बहुत दूर दूर से लोग यहाँ दर्शन करने आते है और इस अद्भुत चमत्कार को देखकर हतप्रभ रह जाते है । यह 42 सौ साल पुराना मंदिर है , बारिश अच्छी होगी या औसत मंदिर इसके भी संकेत देता है,यहाँ के लोग खेती भी इस मंदिर के अनुमान को ध्यान में रखकर करते है, मंदिर की भविष्यवाणी सटीक साबित होती है ।
बारिश का अनुमान लगाने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, पुरातत्व विभाग ने भी इस बात की पुष्टि की है की यह मंदिर बहुत पुराना है । मानसून आने से 15 दिन पहले भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के ठीक ऊपर बना गुंबद अंदर से पसीज जाता है और पानी की बूंदें गिरने लगती हैं, ये बूंदें ही बताती हैं कि बारिश कितनी होगी , बारिश का मौसम से पहले ही नमी आ जाती है। नमी को देखकर यह अनुमान लगाया जाता है की बारिश कब होगी और कितनी होगी।
हजारो साल पहले यहां घना जंगल था और कोल-भील समुदाय के लोग रहते थे, मान्यता है कि यहां ऐसी शक्ति थी कि इस समुदाय के अलावा जो भी नया इंसान आता था वो बेहोश हो जाता था। एक बार राजा शिवि जंगल में शिकार करते हुए यहाँ पहुंचे और बेहोश हो गए, उन्होंने सपने में देखा जंगल की जमीन में एक मूर्ति दबी हुई है, अगर उस मूर्ति को स्थापित किया जाएगा तो उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी।
होश में आने के बाद उन्होंने वही किया जो सपने में देखा था और समुदाय की मदद से राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया। मानसून मंदिर नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में जगन्नाथ जी की मंदिर के ठीक ऊपर से अगर पानी की बुँदे टपकने लगे तो समझिये की अब बारिश होने वाली है।
1883 साल पहले इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था, इस मंदिर में भगवान के 24 अवतार की मुर्तिया लगी हुयी है। मंदिर के एक हिस्से में कुछ पुरानी मुर्तिया है जिनपर सरकारी ताला लगा हुआ है, जिसपर पुरातत्व ( Archeology ) विभाग अध्ययन कर रहा है, यह मुर्तिया बहुत कीमती है इसलिए इनकी सुरक्षा अहम है ।
पूरा मंदिर 700 वर्ग फीट में फैला है जो स्तूप की तरह दिखता है, पूर्व मुखी इस मंदिर के सामने प्राचीन कुआं और तालाब भी है इस मंदिर का आकार रथ जैसा है ऐसा सिर्फ कोर्णाक के सूर्य मंदिर में देखने को मिलता है भारत के अंदर सिर्फ यही दो मंदिर इस आकार के है। इस मंदिर के ठीक ऊपर एक चक्र लगा है जो ऐसी धातु से बना है की इसमें आज तक जंग नहीं लगा है, इस मंदिर की दीवारों की मोटाई 15 फ़ीट है ।
उत्तर प्रदेश का एक मंदिर जो देता है मौसम की जानकारी – Tweet This?