मशरूम (Mashroom) खाने से क्या लाभ होता है?
मशरूम (Mashroom) में प्रोटीन, विटामिन सी, विटामिन बी, विटामिन डी, कॉपर, पोटैशियम, फॉस्फोरस, सेलेनियम, फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सिडेंट जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं।
लेकिन मशरूम (Mashroom Types) दो तरह के आते हैं एक जंगली मशरूम भी आता है, जिसे भूलकर भी नहीं खाना चाहिए। क्योंकि ये देखने में बिल्कुल खाने वाले मशरूम की तरह ही होता है। मशरूम इम्यूनिटी, स्किन, खून की कमी, डायबिटीज, हार्ट के साथ साथ बालो को भी स्वस्थ रखता है। किसान (Mashroom) मशरूम की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है। सबसे पहले आपको कम्पोस्ट बनाना होता है।
कम्पोस्ट बनाने की विधि
कम्पोस्ट को बनाने के लिए धान की पुआल को भिगोना होता है और एक दिन बाद इसमें डीएपी, यूरिया, पोटाश, गेहूं का चोकर, जिप्सम और कार्बोफ्यूडोरन मिलाकर, इसे सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है। करीब डेढ़ महीने के बाद कम्पोस्ट तैयार होता है , अब गोबर की खाद और मिट्टी को बराबर मिलाकर करीब डेढ़ इंच मोटी परत बिछाकर, उस पर कम्पोस्ट की दो तीन इंच मोटी परत चढ़ाई जाती है।
इसमें नमी बरकरार रहे इसलिए स्प्रे से मशरूम (Mashroom) पर दिन में दो से तीन बार छिड़काव किया जाता है, इसके ऊपर एक दो इंच कम्पोस्ट की परत और चढ़ाई जाती है। कम्पोस्ट बनाने के लिए आप पाइप विधि का भी इस्तेमाल कर सकते है। ध्यान रखे की बीज ज्यादा पुराना नही होना चाहिए। अगर आप 100 किलों कंपोस्ट ले रहे हैं तो 2 किलो बीज पर्याप्त होता है।
समय समय पर पानी का छिड़कांव करे। खास बात यह है कि बुवाई करने के महज 30 से 45 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाती है। इस तरह मशरूम (Mashroom) किसान के लिए एक फायदे का सौदा है, अगर आप इसकी बड़े पैमाने पर खेती करना चाहते है तो सरकारी अनुदान सहित आपको प्रशिक्षण भी सरकार की तरफ से दी जाती है।