1983 क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम ने महिला पहलवानों के विरोध को लेकर बयान जारी किया है। इसने कहा है, ‘हम अपने चैंपियन पहलवानों के साथ मारपीट के अशोभनीय दृश्यों से व्यथित और परेशान हैं। हमें सबसे अधिक चिंता इस बात की भी है कि वे अपनी कड़ी मेहनत की कमाई को गंगा नदी में बहाने की सोच रहे हैं।’
पूर्व क्रिकेटरों ने बयान में कहा है, ‘उन पदकों में वर्षों का प्रयास, बलिदान, संकल्प और धैर्य शामिल है और वे न केवल उनके अपने बल्कि देश के गौरव हैं। हम उनसे आग्रह करते हैं कि वे इस मामले में जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें और यह भी आशा करते हैं कि उनकी शिकायतों को सुना जाएगा और जल्दी से हल किया जाएगा। देश में कानून अपना काम करे।’
पूर्व क्रिकेटरों का यह बयान तब आया है जब आज ही एक अख़बार में महिला पहलवानों द्वारा उनके ऊपर लगाए गए आरोपों की लंबी फेहरिस्त सामने आई है और सोशल मीडिया पर इस पर तीखी प्रतिक्रियाएँ हो रही हैं। पूर्व क्रिकेटरों के बयान में पहलवानों द्वारा उठाए गए कड़े फ़ैसलों का ज़िक्र किया गया है। एक महीने से अधिक समय तक जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के बाद भारत के शीर्ष पहलवान विनेश फोगट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया अपने ओलंपिक मेडल 30 मई को गंगा में विसर्जित करने हरिद्वार पहुँचे थे। किसान नेता नरेश टिकैत और अन्य खाप चौधरियों के समझाने पर पहलवानों ने नदी में बिना मेडल बहाये वापस लौट गए।
पहलवानों ने यह कड़ा फ़ैसला तब लिया था जब पहलवानों पर पुलिस ने कुछ ज़्यादा ही सख्ती की थी। दरअसल, पहलवानों ने रविवार को नए संसद भवन की ओर मार्च करने की कोशिश की थी। इसी दिन नये संसद भवन का उद्घाटन किया गया था।
