Trench Method: आमतौर पर गन्ने की खेती परंपरागत विधियों से ही होती है लेकिन अब ज्यादातर किसान ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई कर रहे हैं । इस विधि से गन्ने की बुवाई करने पर न सिर्फ उत्पादन बढ़ रहा है बल्कि सिंचाई में पानी की भी बचत हो रही है, उत्तर प्रदेश गन्ने के अच्छे पैदावार के लिए जाना जाता है । अब किसान गन्ने की बुवाई के लिए ट्रेंच विधि का प्रयोग कर रहे है ।
क्या है ट्रेंच विधि(Trench Method)
ट्रेंच विधि से गन्ना की खेती करने के लिये दो आंख वाले गन्ने के टुकड़ों को क्यारी विधि से उगाया जाता है, जिसके तहत प्रति मीटर क्षेत्र में 10 गन्ने लगाये जाते हैं. बुवाई के बाद से ही इस फसल की देखभाल और प्रबंधन कार्यों में सावधानियां बरती जाती है, जिसके बाद गन्ने की आंखे ठीक तरीके से उगने लगती हैं. इसके लिये खाद-पानी के अलावा कीट-रोग नियंत्रण से जुड़े कामों की निगरानी और रोकथाम की खास जरूरत होती है ।
इस तरह तैयार करें खेत
ट्रेंच विधि से गन्ना की खेती के लिये सबसे पहले जमीन में गहरी जुताईयां लगाकर मिट्टी तैयार की जाती है । इसके बाद मिट्टी में दीमक और अंतुर बेधक जैसे रोगों की रोकथाम के लिये 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से रीजेंट का छिड़काव किया जाता है ।
- फसल को खरपतवारों से मुक्त रखने के लिये जुताई के समय ही प्रति हेक्टेयर की दर से 725 ग्राम न्यूट्रीब्यूजीन भी मिट्टी में डाली जाती है ।
- गन्ना की फसल से बेहतर उत्पादन के लिये खेत में गोबर की खाद या कार्बनिक पदार्थों से भरपूर वर्मी कंपोस्ट भी मिलाई जाती है.
- मिट्टी की जांच के आधार पर प्रति हेक्टेयर खेत में 130 किलोग्राम डीएपी, 100 किलोग्राम पोटाश और 100 किलोग्राम यूरिया के मिश्रण को ट्रेंच की गहराई में डाल देते हैं.
- खेत की तैयारी के बाद गन्ने की दो आंखों वाले टुकड़े बोये जाते हैं, जो सप्ताहभर में ही अपनी जगह जमा लेते है और 30 से 35 दिन में ही फसल का जमाव होने लगता है.
- ट्रेंच विधि से बुवाई के बाद क्यारियों में ड्रिप सिंचाई पद्धति से 2 से 3 दिन के बाद सिंचाई का काम भी किया जाता है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहे और फसल का ठीक प्रकार अंकुरण हो सके.
- पानी की निकासी के लिये खेत में 30 सेंटीमीटर गहरी और 120 सेमी की दूरी पर नालियां भी बनाई जाती है, जिससे जल भराव से फसल को नुकसान ना पहुंचे.