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अवसाद (Depression) क्या है और क्यों होता है?

हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी दुखी होते है, बहुत बार ऐसा होता है की हम जिसे चाहते है वो हमसे दूर हो जाता है इतना ही नहीं कभी कभी उसकी अचानक मृत्यु भी हो जाती है और हम हताश दुखी हो जाते है लेकिन अगर अप्रसन्नता, दुःख, लाचारी, निराशा जैसी भावनायें कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक बनी रहती है और व्यक्ति को सामान्य रूप से अपनी दिनचर्या में रहना भी कठिन होने लगता है तो समझिये की वह व्यक्ति अवसाद (Depression) से ग्रसित हो रहा है। अगर समय रहते इसकी पहचान न हो तो ये गंभीर समस्या हो सकती है।

अगर हम WHO के रिपोर्ट को देखे तो दुनियाभर में लगभग 30 करोड़ से ज़्यादा लोग इस समस्या से ग्रस्त है, भारत में यह आंकड़ा 5 करोड़ से ज़्यादा है जो कि एक बहुत गंभीर समस्या है । वैसे अवसाद (Depression) की कोई उम्र निर्धारित नहीं है लेकिन ये आम तौर पर किशोरावस्था से लेकर 40 साल की उम्र के लोगो में होने की संभावना तीव्र होती है।

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आम तौर पर 60 वर्ष के बाद इसके लक्षण कम दिखते है मतलब अगर आपको 60 की उम्र तक अवसाद (Depression) नहीं हुआ तो इसकी संभावना अब बहुत कम हो जाती है की आपको अवसाद हो । अवसाद (Depression) के लक्षण को समझना बहुत मुश्किल होता है क्योकि अवसाद ( Depression ) वाला व्यक्ति दिखने में बिलकुल नार्मल होता है और इसका कोई बायोलॉजिकल टेस्ट भी नहीं है ऐसी परिस्थिति में इसे समझने के लिए मनोचिकित्सक ( Psychiatrist ) की जरुरत पड़ती है।

Depression लक्षण को कैसे समझे

वैसे यह समझना बहुत आसान नहीं लेकिन हम कुछ तरीके बता रहे है जिससे आप अवसाद (Depression) को समझ सकते है।

अगर अचानक से आपकी एकाग्रता ( Concentration ) चली गयी है, बहुत बार ऐसा होता है की आपके जीवन में कुछ ऐसा घटित होता है जिससे आपके ब्रेन में कुछ जटिल रासायनिक जैसे सेरोटोनिन ( Serotonin ) असंतुलित हो जाता है, सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो आपके मूड को अच्छा करने के साथ साथ शरीर के बाकि अंगो से ब्रेन के बिच मैसेंजर की तरह काम करता है , यह मुख्य रूप से हमारे नींद के लिए एक अतिआवश्यक तत्व है जिसका संतुलित रहना बहुत जरुरी है।

दूसरा लक्षण सुबह उठने में कठिनाई और मूड का सुबह ख़राब रहना और दिन ढलने के साथ साथ मूड अच्छा होते जाना, इसके अलावा लगभग हर दिन थकावट और कमजोरी महसूस करना,स्वयं को अयोग्य मानना,लगभग हर रोज़ बहुत अधिक या बहुत कम सोना,सारी गतिविधियों में नीरसता आना,बार–बार मृत्यु या आत्महत्या के विचार आना,बैचैनी या आलस्य महसूस होना,अचानक से वजन बढ़ना या कम होना।

बहुत बार ऐसा होता है की यह लक्षण होने के बावजूद भी अवसाद (Depression) नहीं होता है या इनमे से कुछ लक्षण होने पर भी अवसाद (Depression) हो जाता है इसके लिए मनोचिकित्सक ( Psychiatrist ) अपने तरीके से चार्ट पर आधारित विश्लेषण करते है जिससे वह किसी नतीजे पर पहुंच सके।
अवसाद का सबसे प्रमुख लक्षण होता है स्थिर न होना या हर काम जल्दी बाजी में करना।

Depression

अवसाद (Depression) कैसे ट्रिगर होता है 

अवसाद ट्रिगर होने का मुख्य लक्षण हमारा उन परिस्थितियों के लिए तैयार न होना जो हमारे साथ घटने वाली है इसको हम उदहारण के साथ समझाते है इस पर गहन अध्यन्न करने के लिए जब किसान सत्ता की टीम कोटा पहुंची तो एक अजीब वाक़्या सामने आया जिसका जिक्र हम करना चाहेंगे।

पहला सवाल की हमने कोटा ही क्यों चुना इसकी मुख्य वजह वहा आये दिन होने वाले आत्महत्या। चलिए अब आपको पूरा वाक़्या बताते है गोरखपुर ग्रामीण से एक लड़का जिसकी उम्र तक़रीबन 19 साल होगी परिवारिक पृस्ठभूम भी बहुत अच्छा होने के बावजूद भी उसे यह गंभीर बीमारी कैसे हुई जब इसकी विस्तृत पड़ताल की गयी तो सामने चौकाने वाले तथ्य आये।

उसके माता पिता ने उसे आई आई टी ( IIT ) की तैयारी के लिए कोटा भेजा था और उसे एक हॉस्टल में शिफ्ट कर दिया , चूँकि वह इससे पहले हॉस्टल में रहा नहीं था, माँ बाप के लाड प्यार में पला लड़का जब उसका सामना अपने ही दोस्तों से हुआ जो पहले से होस्टलर थे या कहे ढीठ थे उन्होंने इसे प्रताड़ित करना शुरू किया मतलब आपने लिए सिगरेट मंगवाना, अपनी सेवा करवाना, अप्राकृतिक रूप से यौन प्रताड़ना देना , चूँकि लड़का इंट्रोवर्ट था तो घर पर भी कुछ कहने से बचता था।

चूँकि मम्मी पापा ने बहुत अरमान से कोचिंग में एडमिशन करवाया था तो उनसे भी कहने में हिचकिचाहट थी , बस धीरे धीरे ये डर उसके अनदर घर करता चला गया। माँ बाप को जब तक पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी थी अब सवाल यह उठता है की माँ बाप को पता कैसे चला हुआ यूँ की इन लड़को के प्रताड़ना एवं धमकी से जब वह लड़का बुरी तरह डर गया।

तब उसका असर उसके मानसिक स्वास्थ पर दिखने लगा कोचिंग की एक टीचर टीचर ने देखा की यह लड़का शुभम ( प्रतीकात्मक नाम ) खुद में ही कुछ बड़ बड़ कर रहा है की मुझे मत मारो, छोड़ दो, मुझे जाने दो, और ये बाते लगातार रिपीट करना, फिर टीचर ने कोचिंग संस्थान के मालिक को बताया फिर माँ बाप को सूचित किया गया , माँ बाप उसको घर तो लेकर आ गए लेकिन सिर्फ उसका शरीर।


आप अक्सर देखेंगे की एंग्जायटी या अवसाद उन्ही लोगो को होता है जिनको उच्च संस्कार या परिवार में बहुत केयर किया जाता है और अचानक जब उनका सामना दुनिया की तकलीफ,धोखा,दुर्व्यवहार से होता है तो वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते।

हमारी मनोस्थिति एवं बाहरी परिस्थिति के बीच असंतुलन एवं सामंजस्य न बनने के कारण तनाव उत्पन्न होता है। तनाव के कारण व्यक्ति में अनेक मनोविकार पैदा होते हैं। सामान्य दिनचर्या में थोड़ी मात्रा में तनाव होना परेशान होने की बात नहीं है क्योंकि इतना तनाव सामान्य व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक होता है परन्तु यह यदि हमारे भावनात्मक और शारीरिक जीवन का हिस्सा बन जाए तो खतरनाक साबित हो सकता है।

आप एक अभिभावक है तो आपको इस स्थिति को समझना बहुत जरुरी है अगर आपके बच्चे में इस तरह के लक्षण दिखे तो हो जाए सावधान

  • आपका बच्चा हमेशा उदास रहता है।
  • हमेशा स्वयं उलझन में एवं हारा हुआ महसूस करता है।
  • अचानक से आत्मविश्वास में कमी दिख रही है ।
  • किसी भी कार्य में ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी हो रही है।
  • खुद को परिवार एवं भीड़ वाली जगहों से अलग रखने की कोशिश करता है । या ज्यादातर अकेले रहना पसन्द करता है।
  • खुशी के वातावरण में या खुशी देने वाली चीजों के होने पर भी वह उदास ही रहता है।
  • हमेशा चिड़चिड़ा रहता है तथा बहुत कम बोलता है।
  • भीतर से हमेशा बेचैन रहते है ।
  • कोई भी निर्णय लेने पर स्वयं को असमर्थ हैं तथा हमेशा भ्रम की स्थिति में रह रहा है।
  • परीक्षा आने पर बहुत जल्दी हताश हो जाता हैं।
  • बहुत अधिक गुस्सा कर रहा है।
  • हर समय कुछ बुरा होने की आशंका से घिरा रहता है ।

अवसाद (Depression) का इलाज संभव है इसमें दो तरह से इलाज होता है एक तो काउंसलिंग ( Counselling ) दूसरा दवाईया ( Medicine ) कुछ लोग ये मानते है की इसकी दवा नहीं है लेकिन यहाँ वह गलत है इसका इलाज संभव है और दवाईयां कारगर भी होती है। कैसे अवसाद (Depression) इससे ग्रषित व्यक्ति को इससे बहार निकाला जा सकता है बताएँगे अगले अंक में।

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