कादर खान (Kader Khan) को क्यों मिला था 1500 का इनाम
जब 350 रुपये महीने का कमाने वाले कादर खान (Kader Khan) को एक नाटक में इनाम के तौर पर मिले थे 1500 रुपये, कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को काबुल अफगानिस्तान में हुआ था। बहुत कम लोगो को पता होगा की स्नातक की पढ़ाई इस्माइल यूसुफ कॉलेज से पूरा करने वाले कादर खान पेशे से शिक्षक थे, उनके पढ़ाये बच्चे बहुत अच्छा करते थे।
कादर खान अपने स्टूडेंट्स को मैथमैटिक्स, ज्योमैट्रिकल मशीन ड्रॉइन्ग, एप्लायड मैकेनिक्स ऑफ स्ट्रक्चर व स्ट्रैंथ एंड मैकेनिक्स जैसे विषय पढ़ाते थे। पूरे तीन महीनों तक कादर खान (Kader Khan) ने रात के समय उन स्टूडेंट्स को पढ़ाया, डेढ़ सौ स्टूडेंट्स में से सभी स्टूडेंट्स फर्स्ट डिवीज़न से पास हुए थे।
कहा जाता है की किसी भी व्यक्ति का जब दिल टूटता है तो वह दो काम करता है या तो टूट जाता है या इतिहास लिखता है, कादर खान दूसरी केटेगरी में आते है, आप लोगो को जानकर हैरत होगी की कादर खान पढ़ने में बहुत अच्छे थे यही वजह थी की
जब भी मौका मिलता कादर खान कार्ल मार्क्स या मैक्सिम गोर्की या गालिब या कबीर की रचनाओं में से कुछ पसंदीदा पंक्तियां कागज पर लिख लेते और पास के एक कब्रिस्तान में जाकर उसे जोर-जोर से बोलकर याद करते।
एक दिन यह अभ्यास रात के अंधेरे में चल रहा था कि चेहरे पर टॉर्च की रोशनी पड़ी। सामने से सवाल उछला,’नाटक में काम करोगे? ‘ फौरन तैयार हो गए। नाटक समाप्त हुआ तो कादर खान (Kader Khan) की अदाकारी से खुश होकर एक दर्शक ने उन्हें सौ-सौ के दो नोट दिए। उस दिन जीवन में पहली बार सौ का नोट हाथ से छूकर देखा। फिर उन्हें नाटकों में काम करने का चस्का लग गया।
लोकल ट्रैन नाटक ने बदल दिया सबकुछ
कादर खान का फिल्म लेखक बन जाना महज एक संयोग था। ऑल इंडिया ड्रामा कॉम्पिटिशन में कादर खान ने लोकल ट्रेन का मंचन किया, जिसे बेस्ट ऐक्टर, बेस्ट राइटर, बेस्ट डायरेक्टर सारे पुरस्कार मिले और नकद 1500 रुपये का ईनाम भी मिला जिसने कादर खान (Kader Khan) के आत्मविश्वास को बढ़ाने का काम किया।
यह भी पढ़ें – कौवा बिरयानी वाले विजय राज के लिए सफलता के क्या है मायने
जूरी के सदस्यों राजेंद्र सिंह बेदी, कामिनी कौशल, रमेश बहल, नरेंद्र बेदी ने बाद में उनसे कहा कि फिल्मों में कोशिश क्यों नहीं करते। फिर नरेंद्र बेदी ने जवानी दीवानी के डायलॉग लिखने का ऑफर दिया। अगले दिन बांद्रा अपने ऑफिस में बुलाकर स्क्रिप्ट सौंप दी।
कादर खान ट्रेन से मरीन लाइंस पहुंचे और मैदान में फुटबॉल खेलते बच्चों की भीड़ के एक कोने में बैठकर महज तीन घंटे में सारे डायलॉग लिख डाले। बांद्रा लौटकर जब डायलॉग सुनाया तो उन्होंने कादर खान (Kader Khan) को सीने से लगा लिया और 1500 रुपये दिये।
350 रुपये की पगार पाने वाले के लिए यह एक बड़ी रकम थी। फिल्म का काम मिलने के बाद भी उन्होंने टीचिंग और ट्यूशन का काम जारी रखा। छात्रों के आग्रह पर चेंबूर के स्टूडियो से स्कूटर चलाकर भायखला आते और कॉलेज के हॉल में रात के 12 बजे से सुबह 5 बजे तक पढ़ाते।
‘गरीबी का सिर कलम करने को बस एक ही तलवार है और वह तलवार है क़लम’ इस बात को आत्मसात करने वाले कादर खान की लेखनी शानदार थी, उन्होंने रोटी का इतना खूबसूरत क्लाइमेक्स लिखा कि मनमोहन देसाई खुशी से उछल पड़े।
सोने का अपना ब्रेसलेट तोहफे में दिया और सवा लाख रुपये का पारिश्रमिक भी। कादर खान (Kader Khan) ने अमिताभ बच्चन के लिए अमर अकबर एंथनी, नसीब, कुली, मुकद्दर का सिकंदर, शराबी जैसी सुपरहिट फिल्मों के सुपर हिट डायलॉग लिखकर सफलता की नई परिभाषा गढ़ डाली।
कादर खान एक लीजेंड चरित्र अभिनेता थे आज भी लोग उनकी फिल्मो को लोग टीवी,सी डी, यू ट्यूब पर देखना पसंद करते है।