जौनपुर (Jaunpur) की सियासी जंग
जौनपुर (Jaunpur) की सीट वह सीट है जहां पर कभी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। जौनपुर (Jaunpur) सीट की बात की जाए तो साल 1952 में पहले आम चुनाव हुए थे। उस समय जौनपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के बीरबल सिंह को यहां की जनता ने भारी मतों से विजई बनाया था वहीं 1957 में कांग्रेस के गणपत राम को जीत हासिल हुई थी।
इमरजेंसी के बाद 1977 के इलेक्शन में यहां पर जनता पार्टी के यगुवेंद्र दत्त दुबे को जीत हासिल हुई थी, लेकिन साल 1984 में कांग्रेस ने वापसी की और कमल प्रसाद सिंह को जीत मिली इसके बाद इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी का दबदबा रहा।
साल 1989 में बीजेपी के यगुवेंद्र दुबे को जीत मिली। साल 1991 में जनता दल के अर्जुन सिंह यादव ने जीत हासिल की। 1996 में एक बार फिर भाजपा को इस सीट पर जीत मिली। साल 1998 के लोकसभा चुनाव में पहली बार सपा का खाता खुला।
साल 1999 में भारतीय जनता पार्टी के स्वामी चिन्मयानंद ने जीत हासिल की। साल 2004 में समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव जीते। साल 2009 में बीएसपी के धनंजय सिंह ने जीत हासिल की।
एक बार फिर से इस सीट पर 2014 में बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण प्रताप सिंह को जीत मिली लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के श्याम सिंह यादव ने जीत हासिल की।
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बसपा ने श्रीकला का टिकट काट श्याम सिंह को बनाया प्रत्याशी
धनंजय सिंह का जीवन भी काफी दिलचस्प रहा है उन्होंने कुल तीन शादियां की है पहली पत्नी ने शादी के करीब 9 महीने बाद सुसाइड कर लिया था। फिर धनंजय सिंह ने डॉक्टर जागृति सिंह से दूसरी शादी की।
डॉक्टर जागृति सिंह अपनी नौकरानी की हत्या करने के आरोप में 2013 में जेल भी गई थी, उसके बाद धनंजय सिंह और जागृति के बीच तलाक हो गया और दोनों अलग हो गए धनंजय सिंह ने साल 2017 में श्री कला रेडी से तीसरी शादी की।
श्री कला मूल रूप से तेलंगाना की है, श्री कला की राजनीतिक एंट्री 2021 में हुई, उन्हें जौनपुर (Jaunpur) के जिला पंचायत का अध्यक्ष चुना गया था।
“जीतेगा जौनपुर जीतेगी बीएसपी” इस हैस्टैग के साथ बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी ने जौनपुर में प्रचार की रफ्तार को धार दे रखी थी, लेकिन नामकरण के आखिरी दिन बसपा ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक खेला था जिससे जौनपुर का सियासी समीकरण ही बदल गया।
बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्री कला सिंह का टिकट काटकर बीएसपी ने मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव पर दांव खेला। बीएसपी के इस कदम से जौनपुर (Jaunpur) में साइकिल पर ब्रेक लगेगा या कमल मुरझा जायेगा?
जौनपुर (Jaunpur) का मौजूदा समीकरण
यूपी के जिन सीटों पर चर्चा जोरदार है उनमें से एक है जौनपुर। जौनपुर (Jaunpur) में बीजेपी ने कांग्रेस से आए कृपाशंकर सिंह पर दाव लगाया हैं तो वही श्रीकला सिंह का टिकट कटने के बाद बीएसपी ने श्याम सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है जबकि सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है।
यहां से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री कृप शंकर सिंह मैदान में है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी से यूपी के पूर्व मंत्री मैदान में है जो कि बीएसपी से समाजवादी पार्टी में आए हैं और दूसरी तरफ जो बीजेपी के प्रत्याशी है वह कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं यहां जो टक्कर है वह बड़ी दिलचस्प होने वाली है।
1980 के बाद से जौनपुर (Jaunpur) में कोई भी प्रत्याशी दोबारा सांसद बनकर नहीं आया जो एक बार सांसद चुना गया वह अगली बार रिपीट नहीं हुआ। जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भले ही सबसे ज्यादा है पर इस सीट पर राजपूतों का ही दबदबा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी ने जौनपुर (Jaunpur) सीट को अपने खाते में लाने के लिए महाराष्ट्र में उत्तर भारतीय की आवाज के रूप में पहचाने जाने वाले जौनपुर के रहने वाले कृपा शंकर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है।
धनंजय सिंह ने कृपा शंकर की उम्मीदवारी घोषित होते ही अपनी उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया था, धनंजय सिंह को उस समय करारा झटका लगा जब जौनपुर के एमपी एमएलए कोर्ट ने उन्हे अपहरण के मामले में 7 साल की सजा सुनाई।
लोकसभा इलेक्शन 2019 में सपा बसपा गठबंधन के श्याम सिंह यादव ने मुस्लिम, दलित और यादव वोटर के समर्थन से जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा ने कृष्ण प्रताप सिंह को मैदान में उतारा था।
लेकिन इस सीट पर बीएसपी उम्मीदवार ने 80936 वोटों से जीत हासिल की। श्याम सिंह यादव को 5.21 लाख वोट मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी को 4.40 लाख वोट से ही संतोष करना पड़ा था।