पूर्वांचल की राजनीति में पिछले कुछ समय से प्रासंगिक ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) जिनका सियासी करियर काफी लंबा रहा है और अपने इस सियासी करियर में विभिन्न राजनीतिक दलों में काम किया है किंतु हाल के लोकसभा चुनाव 2024 में उनके सामने एक बड़ी चुनौती है।
घोसी में ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) बचा पाएंगे अपनी साख?
ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) बहुजन समाज पार्टी, फिर भारतीय जनता पार्टी, फिर समाजवादी पार्टी से होते हुए अब भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन (एनडीए) में उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी है।
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के कुछ जिलों में उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता को नकारा नहीं जा सकता है लेकिन उनकी स्थिरता पर प्रश्नचिन्ह जरूर है।
सियासी जानकार बताते हैं कि ओमप्रकाश राजभर जिस प्रकार की राजनीति के लिए जाने जाते हैं वह सार्वजनिक मंचों से सदैव पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों की आवाज को बुलंद करने के लिए जाने जाते हैं।
लगभग दो वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में थी और ओमप्रकाश राजभर समूचे प्रदेश में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के साथ कैंपेन करते हुए नजर आ रहे थे।
इतना ही नहीं वह प्रदेश और देश की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी से सीधे सवाल कर अपने तीखे बयानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते थे।
किंतु विधानसभा चुनाव संपन्न होने के पश्चात ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने अपनी पार्टी सुभासपा से स्वयं समेत 6 विधायक जितवाने में कामयाब रहे, लेकिन विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद ही ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ लिया।
राजनीतिक गलियारों में इस गठबंधन के टूटने के अलग-अलग मायने बताए जा रहे थे किंतु अंततः ओम प्रकाश राजभर ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद एनडीए का दामन थामा और प्रदेश की योगी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बने।
लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की चर्चित घोसी लोकसभा सीट जिसको राजभर की प्रभाव वाली सीट भी माना जाता है इस सीट से ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर एनडीए के उम्मीदवार हैं तो वहीं इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी के राजीव राय भी ताल ठोक रहे हैं।
विदित हो कि घोसी में दारा सिंह चौहान के समाजवादी पार्टी से इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में स्वयं दारा सिंह चौहान भाजपा के टिकट पर प्रत्याशी थे और समाजवादी पार्टी से सुधाकर सिंह मैदान में थे।
उसे चुनाव में प्रदेश भाजपा संगठन के बड़े नेता और प्रदेश सरकार में मंत्रियों ने भी कैंपेन की थी लेकिन नतीजे भाजपा के पक्ष में नहीं रहे और इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह को जीत मिली थी।
ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर इस सीट को जीत पाते हैं या नहीं इसलिए इस सीट पर ओमप्रकाश राजभर की साख भी दॉव पर है।
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