हीरामंडी (Heeramandi) रिलीज हो गई है?
हीरामंडी (Heeramandi) वेब सीरीज आपको निश्चित तौर पर बोर करने वाली है, जिस डायरेक्टर की मूवी रिलीज़ होने से पहले ही हैडलाइन बन जाती है उसका इतना फीका रिलीज़ फिल्म की क्वालिटी पर सवालिया निशान पैदा करती है । संजय लीला भंसाली जैसे दिग्गज निर्देशक से आप इस तरह की वेब सीरीज की उम्मीद नहीं कर सकते । हीरामंडी (Heeramandi) की सबसे बड़ी कमी सीरीज की लेंथ है आपको सीरीज पूरा देखने के लिए एक लम्बा समय देना होगा, दूसरी समस्या किरदारों को याद रखना, अंत तक जाते जाते आप कंफ्यूज हो जायेंगे की आप मंडी में है या स्वतंत्रता सेनानियों के गढ़ में।
वेब सीरीज अपने मूल कांसेप्ट को समय बीतने के साथ छोड़ती चली जाती है, ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ की बात करें तो नेटफ्लिक्स वेब सीरीज में यहां मनीषा कोइराला और उनसे जुड़ी औरतों के जरिये हीरामंडी(Heeramandi) के शानो-शौकत के आखिरी पलों को दिखाया है। वेब सीरीज में मनीषा कोइराला और सोनाक्षी सिन्हा के जरिये जहां ताकत का संघर्ष नजर आता है।
सीरीज की ताकत मनीषा कोइराला की एक्टिंग है वो जब भी आती है महफ़िल लूट लेती है, इस वेब सीरीज को देखते वक़्त आपको विद्या बालन की बेगम जान की याद आएगी । हीरामंडी (Heeramandi) में कई कहानियां अलग अलग चलती है जिसको बाद में भंसाली ने सँभालने की कोशिश की है लेकिन कामयाब नहीं हो पाते क्योकि सीरीज की लेंथ बहुत लम्बी है।
अगर कलाकार की बात करे तो मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा, संजीदा शेख, शर्मीन सहगल, शेखर सुमन, फरदीन खान, अध्ययन सुमन और फरीदा जलाल सबने ठीक थक अभिनय किया है लेकिन स्क्रिप्ट इतनी कमजोर है की इनकी मेहनत भी वेब सीरीज दर्शको को बांध कर नहीं रख पाती।
वेब सीरीज का कमजोर पक्ष इसका संगीत भी है आम तौर पर भंसाली की मूवी में संगीत अच्छा होता है लेकिन आपको यहाँ भी निराशा हाशिल होगी। सीरीज का एक पक्ष मजबूत है और वो है उसकी भव्यता संजय लीला भंसाली ने कैमरा ,सेट , लाइट का बखूबी इस्तेमाल किया है , पूरी कहानी को अगर आप एक लाइन में समझना चाहे तो यह है की हीरा मंडी की वर्कर कैसे अपने काम को करते करते अंग्रेजो से आज़ादी की लड़ाई लड़ने लगती है।
किसान सत्ता इस सीरीज 2 / 5 ** देती है
तवायफों की ज़िंदगी को भव्य दिखाने मे अपने थीम से भटक गए भंसाली : हीरा मंडी रिव्यु – Tweet This?