Friday, May 3, 2024
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UP: गौतमबुद्ध नगर सीट का सियासी समीकरण

UP: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सटे गौतमबुद्ध नगर संसदीय सीट का इतिहास महाभारत से लेकर स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ा है। महान क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह और राजगुरु की अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में गौतमबुद्ध नगर के नलगढ़ा गांव में शहीद विजय सिंह पथिक का आश्रम शरणस्थली रहा था।

रावण की जन्मस्थली बिसरख व एकलव्य की नगरी दनकौर समेत विभिन्न ऐतिहासिक विरासतों को समेटे गौतमबुद्ध नगर (UP) सीट पर मुकाबला दिलचस्प बन गया है। भाजपा यहां जीत की हैट्रिक लगाने को आतुर है। तो वहीं विपक्षी दलों द्वारा भी इस सीट पर ठोस दावेदारी पेश की जा रही है ।

गौतमबुद्ध नगर सीट पर 2014 व 2019 में भाजपा के डॉ. महेश शर्मा भारी मतों से विजयी हुए थे। उनकी यह तीसरी पारी है। चुनाव में विकास और जाति दोनों मुद्दे हावी हैं। ऐतिहासिक विरासतों को समेटे गौतमबुद्ध नगर सीट पर मुकाबला दिलचस्प बन गया है। भाजपा यहां जीत की हैट्रिक लगाने को आतुर है। INDIA गुट के साथ ही बसपा भी इस सीट पर पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में है, विदित हो कि पहले यह सीट खुर्जा के नाम से थी।

गौतमबुद्ध नगर(UP) में विकास के दो स्वरूप

राजधानी दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर में विकास के दो चेहरे दिखाई देते हैं। जेवर और नोएडा दिल्ली व चंडीगढ़ से होड़ लेते दिखाई देते हैं तो दादरी नगर और उससे सटे साठा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं और दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों में चुनावी मुद्दा हैं। भाजपा के कार्यक्रमों में मंचों पर जेवर अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट और लगातार हो रहे पूंजी निवेश की बातें और अधिक विकास की बातें तो विपक्ष के पास आमजनमानस की मूलभूत समस्यारुपी हथियार है!

हमें प्राप्त जानकारी के अनुसार- दादरी के मतदाता चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन यह क्षेत्र खुद को उपेक्षित महसूस करता है। दूसरी ओर जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर बिलासपुर के कुछ ग्रामीणों का कहना है- उद्योगों के नजरिए से देखें तो प्रदेश में जितना विकास गौतमबुद्ध नगर का हुआ, उतना कहीं और का नहीं अब ऐसे में गौतमबुद्धनगर का सियासी ऊँट किस करवट बैठता है इसका निर्णय भी वहाँ की जनता ही आगामी चुनाव में करेगी!

खोयी सियासी जमीन वापस पाने को बेचैन बसपा प्रत्याशी

पहले यह सीट खुर्जा के नाम से थी। 2009 में गौतमबुद्ध नगर के नाम से अलग सीट बनी। सुरेन्द्र नागर इस सीट पर 2009 में बसपा के टिकट पर सांसद चुने गये थे इस सीट से बसपा प्रत्याशी इतिहास दोहराने की फिराक मे हैं अतीत की बात करें तो इस सीट पर सपा की साइकिल कभी नहीं दौड़ पाई है।

INDI गठबंधन के जरिये सपा प्रत्याशी महेंद्र नागर सीट पर पहली बार खाता खोलने को आतुर हैं। बसपा के सुरेंद्र नागर 2009 में यहां से जीते थे। अब फिर वही कहानी दोहराने के लिए बसपा के प्रत्याशी राजेंद्र सोलंकी बेचैन हैं।

गौतमबुद्धनगर सीट पर कुल मतदाता

गौतमबुद्ध नगर शहरी और ग्रामीण आबादी की मिश्रित लोकसभा सीट है। पिछले लोकसभा चुनाव में सीट पर 22 लाख मतदाता थे, इसमें से 13,93,141 लाख ने मतदान में हिस्सा लिया था, लेकिन इस बार मतदाताओं की संख्या में साढ़े चार लाख की बढ़ोतरी हुई है। इस बार 26,75,148 मतदाता है।

चुनाव में विकास और जाति दोनों मुद्दे हावी

2014 व 2019 में यहां से भाजपा के डॉ. महेश शर्मा भारी मतों से विजयी हुए थे। उनकी यह तीसरी पारी है। चुनाव में विकास और जाति दोनों मुद्दे हावी हैं। इस सीट पर ठाकुर, गुर्जर, ब्राह्मण, वंचित और मुस्लिम मतदाता सर्वाधिक हैं। गौतमबुद्ध नगर की तीन विधानसभा सीटें नोएडा, दादरी और जेवर व बुलंदशहर जिले की सिकंदराबाद और खुर्जा इस संसदीय क्षेत्र में शामिल हैं।

जातीय समीकरणों के बावजूद इस सीट पर भाजपा के पक्ष में पिछले कुछ सालों में तेजी से हुआ औद्योगिक विकास है। भाजपा के पश्चिमी उप्र के अध्यक्ष सतेंद्र सिसोदिया कहते हैं- ‘यहां करीब दो लाख करोड़ का औद्योगिक पूंजी निवेश हुआ।

देश का सबसे बड़ा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, इंटरनेशनल फिल्म सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क, इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप, ईस्टर्न वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, रोड कनेक्टिविटी पर काम हुआ। यह सब मील का पत्थर है।

ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की समस्या जस की तस

इस लोकसभा सीट के बारे में प्रो. विवेक कुमार के मुताबिक ‘जिले में प्रति व्यक्ति आय प्रदेश में सबसे अधिक 6,47,557 रुपये है।’ वहीं, इसके बावजूद भाजपा के लिए जीत की राह इतनी आसान भी नहीं है।

भाजपा प्रत्याशी महेश शर्मा को जेवर में कुछ जगहों पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। किसान नेता रूपेश वर्मा कहते हैं- ‘किसानों की जमीन का मुआवजा, रोजगार और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की समस्या जस की तस है।’ उपरोक्त मुद्दे आगामी लोकसभा चुनाव में प्रभावी साबित हो सकते हैं!

अखिलेश ने किया सर्वाधिक विकास

गठबंधन प्रत्याशी डॉ. महेंद्र नागर लीजबैक, आबादी शिफ्टिंग, 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा जैसे प्राधिकरण में लंबित विवादों के हल न होने के मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भाटी कहते हैं- ‘अखिलेश यादव सरकार में ही यहां सर्वाधिक विकास हुआ सपा की प्रदेश में सरकार थी तब अखिलेश यादव ने गौतमबुद्धनगर को कई परियोजनाओं की सौगात दी थी तब से यहाँ के विकास स्थिर हो चुका है!

मेट्रो, नोएडा एलिवेटेड, भंगेल एलिवेटेड बोड़ाकी रेलवे स्टेशन सपा सरकार की देन है और इसका फायदा मिलेगा।’ भाजपा को बसपा की ओर से भी चुनौती मिल रही है। उसके प्रत्याशी राजेंद्र सिंह सोलंकी का खुर्जा क्षेत्र में मजबूत आधार भी है।

बसपा सुप्रीमो का गृहजनपद भी एक फैक्टर

गौतमबुद्ध नगर बसपा सुप्रीमो मायावती का गृह जनपद होने के कारण पार्टी इसे जीत का मजबूत समीकरण मान रही है। बसपा नेता करतार नागर कहते हैं- यहां के मतदाताओं का मायावती से भावनात्मक लगाव है इसका फायदा मिलेगा। राजेंद्र सोलंकी की नजर बसपा के परंपरागत वोटों के साथ ठाकुर समाज के मतदाताओं पर लगी है। बिसहाड़ा के राघवेंद्र सिंह कहते हैं- सोलंकी के मैदान में आने से यहां मुकाबला दिलचस्प है।

शहरी मतदाता होंगे निर्णायक

गौतमबुद्ध नगर सीट पर शहरी मतदाता सर्वाधिक हैं। यही कारण है कि भाजपा प्रत्याशी महेश शर्मा शहरी मतदाताओं के साथ गुर्जर, जाट और अति पिछड़ा वर्ग पर अधिक जोर दे रहे हैं।

गुर्जरों के भी करीब साढ़े चार लाख वोट हैं। शहरी मतदाताओं को लेकर भाजपा अधिक आश्वस्त नजर आ रही है। भाजपाई ब्राह्मण, वैश्य, पंजाबी, कायस्थ और प्रवासी मतदाताओं को अपना परंपरागत वोट मानते हुए वंचितों और खासकर मुस्लिम समुदाय की महिला मतदाताओं में सेंध लगाने में जुटे हैं।

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