कुमार विश्वास द्वारा केजरीवाल पर ‘Khalistani’ वाले गंभीर आरोप का क्या आधार है, आज हम इसकी पड़ताल करेंगे , इस बात पर चर्चा करने से पहले हम आपको बताते है की कैसे केजरीवाल को कुमार विश्वास का साथ मिला और कैसे बढ़ी दूरियां ।
मनीष सिसोदिया का है अहम रोल
केजरीवाल और कुमार विश्वास की दोस्ती में अहम् भूमिका दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की रही थी, बकौल कुमार विश्वास सिसोदिया और उनकी दोस्ती उतनी ही पुरानी है जितनी की उन दोनों की उम्र, अन्ना हों या अरविंद, साए की तरह साथ रहा है मनीष बहुत कूल है हम सबने मिलकर इस योजना को तैयार किया था जिसमे मनीष सिसोदिया की अहम भूमिका थी ।
केजरीवाल और कुमार को किसने मिलाया
कुमार विश्वास और केजरीवाल को एक दूसरे से मिलवाने वाले कोई और नहीं सिसोदिया ही है, केजरीवाल और मनीष बहुत पुराने दोस्त है। कुमार विश्वास ने तब कहा था की मनीष ने ही मुझे प्रेरित किया था की हम लोग अच्छी राजनीती से देश और दिल्ली दोनों का भला कर सकते है। विश्वास मनीष सिसोदिया के डिप्टी मुख्यमंत्री बनने पर सबसे पहले बधाई देने वालो मे से थे
कैसे दुश्मन बना दोस्त वो पुराना
केजरीवाल और विश्वास के बिच दुश्मनी का सबसे बड़ा कारण दोनों की महत्वाकांक्षा को माना जा सकता है, जिस सत्ता के लिए साथ संघर्ष किया था उसके मिलते ही ऐसा कुछ होगा किसी ने सोचा नहीं था, आपको बताते है की वो मुख्य वजह क्या थी जिसकी वजह से ये दूरियां बढ़ती चली गयी।
- पंजाब चुनाव में प्रचार की जिम्मेदारी न देना- पंजाब चुनाव में जिस तरह से उन्हें प्रचार की जिम्मेदारी नहीं दी गई उसे ही केजरीवाल और विश्वास के बीच की दूरियों की शुरुआत माना जा रहा है। सभी बड़े नेताओं ने वहां प्रचार किया लेकिन विश्वास को गोवा जैसे राज्य की जिम्मेदारी दी गई जिसने सबको हैरान किया। विश्वास का नाम स्टार प्रचारकों में भी नहीं था।
- सीधे सिसोदिया और केजरीवाल पर कई आरोपों का लगना- जिस तरह शुंगलू कमिटी की रिपोर्ट में सीधे सीएम केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर कई गंभीर आरोप लगे, माना जा रहा है कि उससे भी विश्वास काफी आहत थे । इन सब वजहों से विश्वास की पर्सनल छवि को भी काफी नुकसान हो रहा था । कुमार विश्वास एक जाने माने कवि है ऐसी सिचुएशन में उनका अपने इमेज को लेकर सतर्क होना स्वाभाविक है, और जिस तरह आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे थे उससे कुमार असहज हो रहे थे।
- पंजाब की हार का ठीकरा EVM पर फोड़ना- विश्वास को यह बहुत बुरा लग रहा था की केजरीवाल अपने कमियों को ठीक करने के बजाय सरकारी संस्थानों को दोषी ठहरा रहे थे, जिससे विश्वास को बुरा लग रहा कि चुनाव आयोग जैसी संस्था को भला-बुरा कहना विश्वास को केजरीवाल से दूर कर रहा है। वहीं आप के जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं उनपर मौन साध लेना या उनपर कोई कार्रवाई न करना भी विश्वास को अच्छा नहीं लगा।
- वादा खिलाफी- माना जाता है कि कुमार विश्वास एक साफ छवि के नेता हैं और आंदोलन से खड़ी हुई आम आदमी पार्टी से वो इसीलिए जुड़े थे क्योंकि पार्टी ने स्वच्छ राजनीति करने का वादा किया था। लेकिन दो साल बाद जिस तरह पार्टी की छवि बनी है उससे अब कुमार विश्वास को आप से जुड़ने का फैसला गलत लगने लगा है।
- अमानतुल्लाह खान का विश्वास पर विश्वासघात का आरोप- आम आदमी पार्टी की 6वीं राष्ट्रीय परिषद की बैठक में खान और विश्वास के समर्थक आमने सामने आ गए थे, जहां मुस्लिम च८स्टीकरण के लिए आप विधायक खान को तरजीह देना केजरीवाल की मज़बूरी बन गयी थी वही संस्थापक सदश्य विश्वास से पंगा लेना केजरीवाल को भारी पड़ रहा था। इस हंगामे के बाद ही यह दिखने लगा था की केजरीवाल और विश्वास की दोस्ती अब टूटने वाली है
- PM पद के लिए अनफिट केजरीवाल – एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या आप आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के सीएम को भविष्य का पीएम मानते हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नही। इसी तरह उनसे जब यह पूछा कि आप महात्मा गांधी के बारे में क्या सोचते हैं, उन्होंने कहा कि एक विचार, नाथूराम गोडसे से असंवैधानिक असहमति जताई, देश के पूर्व पीएम को जवाहरलाल नेहरू को पहला सवार, विनायक दामोदर सावरकर को योद्धा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संकल्प, राहुल गांधी को भोला प्रयास बताया. जबकि सीएम अरविंद केजरीवाल को उन्होंने ऐतिहासिक भूल करार दिया ।
केजरीवाल को क्यों कहा खालिस्तानी समर्थक
पंजाब चुनाव जितने के लिए केजरीवाल किसी भी तरह का हथकंडा अपना रहा है जो देश के लिए घातक है। कुमार विश्वास ने कहा कि केजरीवाल की रैलियों में खालिस्तान समर्थन में नारे लगते थे, जीत हासिल करने के लिए इस स्तर पर हो रहे राजनीती से विश्वास खफा थे और उन्होंने अपने ही स्टाइल में ट्वीट भी कर डाला
राघव चड्ढा ने विश्वास पर किया था पलटवार
यह एक राजनीतिक साजिश है- आम आदमी पार्टी इससे पहले कुमार विश्वास के ‘खालिस्तान’ वाले आरोपों पर आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के सीएम केजरीवाल के बेहद करीबी राघव चड्ढा ने उनपर पलटवार करते हुए सवाल किया कि ‘इतने वर्षों में कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल के कथित गलत इरादों की सूचना सुरक्षा एजेंसियों को क्यों नहीं दी।’ उन्होंने यह भी पूछा कि ‘पंजाब चुनाव से 1-2 दिन पहले ही यह सब क्यों सामने आया? आप 2018 तक पार्टी में थे। जब आपकी इच्छा के मुताबिक राज्यसभा की सीट नहीं मिली तो आपने यह सब प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया।’ यही नहीं, आम आदमी पार्टी नेता ने कहा कि ‘यह एक राजनीतिक साजिश है। कुमार विश्वास अरविंद केजरीवाल के एक फर्जी वीडियो निकालते हैं।
केजरीवाल के गिरफ़्तारी के बाद विश्वास का पोस्ट
‘जो जस करहि सो तस फल चाखा’
कुमार विश्वास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर केजरीवाल का नाम लिए बगैर पोस्ट किया और लिखा, ‘कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहि सो तस फल चाखा’ जो व्यक्ति जैसा करता है उसे वैसे ही फल की प्राप्ति होती है
Khalistani: क्यों बन गया दुश्मन दोस्त वो पुराना – Tweet this?