:: चिराग तले अँधेरा ::
बिहार में वर्तमान में सबसे ज्यादा लड़ाई Chirag Paswan की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) गुट और उनके चाचा पशुपति पारस की पार्टी लोजपा (पारस) गुट के बीच है. दोनों अपनी परंपरागत सीट हाजीपुर से ही चुनाव लड़ने को लेकर अड़े हुए हैं. चाचा-भतीजे को एक साथ रखने में भाजपा के पसीने छूट रहे हैं. पशुपति पारस ने तो साफ़ कर दिया है कि वे एनडीए के साथ थे और आगे भी रहेंगे, बस सीट शेयरिंग को लेकर फाइनल बातचीत होनी है. रविवार को हुई वैशाली में चिराग की रैली में यह माना जा रहा था कि चिराग पासवान आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने पत्ते खोलेंगे कि वह नरेंद्र मोदी के हनुमान बनकर फिर से इस चुनाव में उनके साथ रहेंगे या फिर वे तेजस्वी के दिए गए ऑफर को स्वीकार कर महागठबंधन में अपनी एंट्री करवाएंगे. लेकिन यह तय माना जा रहा है कि चिराग भी यह जानते हैं कि वर्तमान समय में एनडीए में ही रहकर उनकी पार्टी को ज्यादा सीटें मिल सकती है.
भाजपा चिराग के साथ पारस गुट को भी नहीं छोड़ना चाहती –
भाजपा यह जानती है कि लोजपा का असली वोट बैंक तो सही में चिराग के साथ ही है. लेकिन भाजपा पारस गुट को भी अपने साथ इस चुनाव में रखना चाहती है. वर्तमान में चिराग को छोड़कर अन्य पांच सांसद पारस गुट को ही अपना समर्थन दिए हुए हैं. ऐसे में भाजपा पशुपति पारस को बाहर का रास्ता नहीं दिखाना चाहती है. वह चाचा और भतीजे के बीच की लड़ाई को सामंजस्य बैठा कर निपटाना चाहती है. क्योंकि, इससे नुकसान भाजपा को भी होगा. किसी एक के भी बाहर जाने से वोटों में सेंध लगने की पूरी गुंजाइश रहेगी. यही कारण है कि भाजपा जहां हाजीपुर सीट चिराग को ही देने के मूड में है.