12 साल की उम्र में हुआ विवाह, परीक्षक ने कॉपी पर लिखा था- परीक्षार्थी एग्मामिनर से है ज्यादा योग्य
भारत(INDIA) में कुछ ऐसे भी नेता हुए हैं, जिन्हें लोग उनके उसूलों के लिए याद करते थे। देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी ऐसे ही जन नेता थे। राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय तथा माता का नाम कमलेश्वरी देवी था। आज जहा लोग छोटी छोटी उपलब्धियों पर इतराने लगते है डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इस मिथक को उस वक़्त तोड़ दिया था जब उनकी कॉपी जांचने वाले शिक्षक ने कहा था की “The Examinee is better than Examiner ” ।
भारत (INDIA) के पहले राष्ट्रपति थे पहले कृषि मंत्री-
ये बात तो सभी लोग जानते हैं कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति थे, लेकिन ये बात बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि वे देश के पहले कृषि मंत्री भी थे। देश के पहले कृषि मंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल 2 अक्टूबर, 1946 से लेकर 14 जनवरी, 1948 तक रहा।
राष्ट्रपति भवन में सादगी भरा जीवन
साधारण आदमी के विवेक पर यह आस्था ही राजेन्द्र प्रसाद के जीवन को इस देश की जनता-जनार्दन के लिए एक अनुकरणीय संदेश में बदलती है. राष्ट्रपति के पद पर रहते डॉ. राजेन्द्र प्रसाद साधारणता की ताकत को एक पल के लिए नहीं भूले. राष्ट्रपति भवन में रहे लेकिन जिंदगी ऐसी रखी कि जब चाहें गांव के सबसे गरीब आदमी को गले लगा सकें.
सोचिए कैसा रहा होगा वह मनुष्य जिसका नाम लो तो गांव के बुजुर्ग आज भी बताएं कि तनख्वाह तो उनकी 10 हजार की थी लेकिन आधा पैसा सरकार के खाते में ही छोड़ देते थे कि देश की सेवा में लग जाए. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के परिवार जन बताते हैं कि ‘बाबूजी ने राष्ट्रपति रहते अपने बाद के दिनों में वेतन का सिर्फ एक चौथाई (2500 रुपए) लेना मंजूर किया था’
इस वेतन पर भी किसी ने अंगुली उठाई. लिखा मिलता है कि राष्ट्रपति पद पर रहते राजेन्द्र बाबू ने कार खरीदी. किसी ने ध्यान दिलाया कि इतने वेतन में कार तो नहीं खरीदी जा सकती. बस क्या था, बात की बात में उन्होंने कार लौटा दी.
समय के साथ कैसे बदलता गया कृषि मंत्रालय का स्वरूप-
आजादी से पहले भारत में राजस्व, कृषि एवं वाणिज्य विभाग था। जिसकी स्थापना जून, 1871 में हुई थी। इसके बाद 1881 में इसे पुनगर्ठित कर राजस्व एवं कृषि विभाग को अलग कर दिया गया।
इसके बाद 1923 में शिक्षा और स्वास्थ्य को इसमें शामिल कर- शिक्षा, स्वास्थ्य और भूमि विभाग कर दिया गया। इसके बाद 1945 में इसे तीन अलग-अलग विभागों कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य में बांट दिया गया। कृषि विभाग को अगस्त 1947 में कृषि मंत्रालय में तब्दील किया गया।