Friday, May 17, 2024
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परवल की खेती ने बदल दी किसान की किस्मत

गुजरात के रहने वाले बाबू बोखारी एक प्रगतिशील किसान(Farmer) है। बाबू एक छोटी-मोटी नौकरी कर रहे थे लेकिन पहले से किसी की जानकारी रखने वाले बाबू ने तय किया की वो परवल की खेती करेंगे। किसान सत्ता ने अपने विवेचन को साझा करते हुए ये भी बताया है की किसान गन्ने की खेती को ट्रेंच की प्रक्रिया के माध्यम से कैसे कर रहे हैं और कैसे उन्हें मुनाफा हो रहा है।

परवल की खेती कैसे करें

परवल एक बेलदार पौधा है। परवल की खेती गर्म जलवायु में अच्छे से विकास करती है। इन की खेती गर्म और तर जलवायु वाले विस्तार में अच्छे से की जा शक्ति है। इन की खेती रेतीली मिट्टी में या दोमट मिट्टी में अच्छे से होती है। परवल की खेती में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। परवल के बीज को अंकुरित होने के लिए सामन्य तापमान की जरूरत होती है। परवल की खेती 20℃ से 25℃ तक का तापमान अच्छा माना जाता है। इन से अधिक तापमान परवल के फल और उत्पादन को नुकशान करता है।

परवल के पौधे की रोपाई

परवल की खेती में पौधे की रोपाई बीज बुवाई और तना कलम से कर शकते है। बीज बुवाई से पौधे कमजोर और पैदावार भी कम प्राप्त होती है पर परवल के पौधे की रोपाई लता कलम से करेंगे तो उत्पादन अधिक मिलेगा। कई किसान परवल की खेती तने के छोटे टुकड़े की रोपाई कर के करते है। परवल की खेती में 10 मादा पौधे के बिच एक नर पौधा लगाना चाहिए। इन से परागकण अच्छे से होता है। परवल के पौधे तैयार करने के लिए नर्सरी में बेल के छोटे टुकड़े को सितंबर से अक्टूबर महीने में लगाई जाते है। इन पौधे की जड़ अच्छे से हो जाती हे तो फरवरी से मार्च महीने तक मुख्य खेत में लगाई जाते है।

परवल की खेती में इस प्रकार पौधे तैयार कर के लगाने से खेत बुवाई बीज एवं तना कलम के द्वारा कर सकते हैं। बीजों द्वारा उत्पन्न पौधे कमजोर होते हैं तथा उनमे लगभग 50 प्रतिशत नर एवं इतनी ही मादा लताये होती है। परवल की व्यापारिक खेती के लिए परवल के तने के टुकडो का प्रयोग करते हैं। इसमें अधिकांश कलम मादा लताओं से लेते हैं। 5 से 10 प्रतिशत कलम नर लता से लेते है, ताकि परागकण अच्छे से हो सके।

इस विधि में सितम्बर-अक्टूबर में बेलों के टुकड़े नर्सरी में लगाते है। उनके द्वारा जड़ पकड़ लेने पर उन्हें फरवरी-मार्च में खेतों में लगा देते हैं। इस विधि में पौधे जल्द बढ़ते हैं तथा फलन अगेती होती है परन्तु कठिनाई यह है कि बड़े पैमाने पर परवल की रोपाई के लिए अत्यधिक संख्या में जड़ वाली कलमों का उपलब्ध होना एक प्रमुख समस्या भी है। परवल की कलम को दो प्रकार से लगाया जाता है।

परवल एक बेल वाली सब्जी की फसल है। इन का सब्जी में एक अलग ही स्थान है। इन के फल की सब्जी का सेवन करने से मानव शरीर को बहुत फायदा होता है। परवल में कई विटामिन और पोषक तत्व मौजूद होते है। इन में औषोधिक गुण भी पाए जाते है। इस लिए इन की मांग बाजार में बहुत रहती है और मार्केट भाव भी अधिक रहता है इस लिया किसान परवल की खेती कर के लाखो रुपए की कमाई कर रहे है।

परवल की उन्नत किस्में कौन कौन सी है 

वर्तमान समय में परवल की कई सारी उन्नत किस्में हमारे कृषि वैज्ञानिकोंने तैयार की है। जैसे की स्वर्ण अलौकिक, एफ. पी-1, स्वर्ण रेखा, राजेन्द्र परवल-1, स्वर्ण सुरुचि, आदि परवल की उन्नत किस्में अधिक उत्पादन और लोकप्रिय है।

परवल के पौधे की रोपाई कैसे करें?

परवल की खेती में आप पौधे की रोपाई दो विधि से कर सकते है। एक लता वाली विधि से और छल्ला विधि से इन दोनो विधि से परवल की खेती करने से अच्छा उत्पादन मिलता है।

लता वाली विधि

परवल की खेती इस विधि से करने के लिए खेत में 30 सैमी गहरी नाली तैयार करनी है। इन नाली में अच्छे से सड़ी गोबर की खाद और वर्मिकम्पोस्ट को मिट्टी में अच्छे से मिला के इस नाली को भर देना है। इन में आप 50 सैमी लंबी कलम को 1.5 से 2 मीटर को दूरी रख के 10 सैमी की गहराई में इन कलम की रोपाई कर सकते है।

छल्ला विधि 

परवल की खेती इस विधि से करने के लिए आप 9 से 10 पर्व (गाठ) वाली और 1 से 2 मीटर लंबी कलम लेनी है और उन्हें अंग्रेजी के 8 जैसे आकार का छल्ला बना दे। और इस विधि में भी एक छल्ला से दूसरे छल्ला के बीच 2 मीटर की दूरी रखे। इन्हे एक बार लगाने के बाद आप 5 साल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते है।

परवल की में हर साल लता नही रोपनी पड़ती। इस में 8 मादा लता के बीच एक नर लता लगानी है। परवल की इस प्रकार करने से उत्पादन अधिक मिलता है क्यों की इस प्रकार लता लगाने से परागण अच्छा होता है इस लिए उत्पादन बंपर मिलता है।

परवल की खेती से बाबू बोखारिया ने 7.50 लाख की कमाई की और पहली फसल अप्रैल महीने में शुरू हुई और सितंबर तक उत्पादन प्राप्त होता रहा। इस में एक हेक्टर के हिसाब से 17 स 18 टन तक का उत्पादन प्राप्त हुआ और इस का मार्किट भाव 40 से लेकर 130 तक रहता था। इस लिए इस साल 7.50,000 रूपए तक की कमाई हो गई।

दूसरे साल बाबू बोखारिया ने नेट हाउस स्थापित कर दिया। और परवल की इस उन्नत किस्में के पौधे भी तैयार कर के दूसरे किसान बंधू को बेचने लगा। क्यों की इस किस्में के पौधे की मांग बाजार में अधिक रहती थी। इन्होने कलमों से पौधे तैयार करने का तरीका अच्छे से आता था इस लिए पौधे तैयार करने में भी सफल रहा।

बाबू बोखारिया ने 50,000 पौधे अच्छे से तैयार कर लिए इन में से 2 एकड़ में परवल की खेती करने के लिए 8 हजार पौधे की रोपाई कर दी बाकि 42,000 हजार पौधे को अपने जिले और अन्य जिले के किसान को बेच दिया

#FarmerStory

 

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