Friday, May 3, 2024
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उत्तर प्रदेश में छोटे दल NDA के साये में सिमटे?

बड़े-बड़े दावे फुस्स, चंद सीटों पर सिमटे छोटे दल

NDA: उत्तर प्रदेश की सियासत में जाति के घोड़े पर बैठकर राजनीति करने वाले कुछ दल जो खुद का समूचे प्रदेश में व्यापक जनाधार बताते थे फिलहाल सूरत-ए-हाल कुछ और ही बयां करती है! NDA गठबंधन के सभी सहयोगी दलों द्वारा इस बात की मांग की जा रही थी कि वह अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेंगे किंतु चुनाव की घोषणा होने के बाद ही उन सभी को एनडीए गठबंधन के सीट बंटवारे में कुछ ही सीटों से ही संतोष करना पड़ा!

जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की सियासत में कुछ छोटे राजनीतिक दलों की जो की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा हैं,

इनमें सबसे पहले हम बात करेंगे अपना दल(सोनेलाल) की, डॉ० सोनेलाल पटेल अपने समय के पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले कद्दावर नेता थे जिनके देहावसान के पश्चात उनकी विरासत को उनकी पुत्री अनुप्रिया पटेल आगे बढ़ा रही हैं और वह वर्तमान समय में मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री भी हैं जब लोकसभा आम चुनाव की आहट हुई तो अपना दल(एस) ने NDA गठबंधन से 10 से 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग की किंतु अंत्यतोगत्वा अपना दल (एस) को एनडीए गठबंधन ने सिर्फ दो सीटें मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज ही मिली किंतु पूर्व में अपना दल (एस) के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा बड़ी-बड़ी बातें की जा रही थी लेकिन अब तस्वीर साफ हो चुकी है,

तो वही यूपी में एनडीए के दूसरे सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हाल ही में यूपी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे ओमप्रकाश राजभर के द्वारा भी एनडीए गठबंधन में समूचे प्रदेश में अपनी पार्टी का बहुत बड़ा जनाधार बताते नजर आ रहे थे किंतु उनको पूर्वांचल की महज़ एक सीट घोसी से ही संतोष करना पड़ा जहां पर उनके पुत्र अरविंद राजभर सुभासपा के सिंबल पर चुनाव मैदान में हैं,

 

NDA के तीसरे सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष और यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद के द्वारा भी कई सीटें मांगी जा रही थी किंतु उनका तो भाजपा ने सिर्फ एक सीट संतकबीर नगर वह भी अपने सिंबल पर उनके सांसद पुत्र प्रवीण निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है!

मोटे तौर पर हम यह कह सकते हैं कि उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़े सियासी रसूख़ का दावा करने वाले छोटे राजनीतिक दल महज़ कुछ सीटों पर ही सिमट कर रह गए हैं, इन सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत अपने ही क्षेत्र में लगा रखी है मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज के बाहर अपना दल(एस) कहीं भी नहीं दिखाई पड़ रही है तो वहीं सुभासपा ने भी अरविंद राजभर के लिए सिर्फ घोसी में ही सक्रिय नजर आ रही है ठीक उसी प्रकार निषाद पार्टी भी संत कबीर नगर के बाहर नहीं नजर आ रही है, यह सभी राजनीतिक दल अपने पॉकेट से बाहर तभी निकलते हैं जब इन्हें भाजपा शीर्ष नेतृत्व द्वारा आमंत्रित किया जाता है।

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