Friday, May 17, 2024
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Covishield वैक्सीन के साइड इफेक्ट: लखनऊ न्यूरोलॉजी विभाग ने क्यों किया इनकार

लखनऊ न्यूरोलॉजी विभाग ने Covishield वैक्सीन के साइड इफेक्ट से किया इनकार

कोरोना वैक्सीन: कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बात करना महज दुष्प्रचार, लखनऊ न्यूरोलॉजी विभाग ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट से किया इनकार।

केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग ने कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट पर देशभर में प्रकाशित शोध पत्रों का अध्ययन किया। इसके आधार पर एक रिसर्च पेपर तैयार किया गया। यह शोध कार्य न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग के मार्गदर्शन में पूरा हुआ। डॉ. गर्ग ने कहा कि जून 2022 तक 1973408500 कोविड टीकों की खुराक दी जा चुकी है। इनमें से ज्यादातर को कोविशील्ड वैक्सीन लगी है।

कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव की वैक्सीन कोविशील्ड के साइड इफेक्ट की जानकारी को लेकर चिंताएं हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ दुष्प्रचार है। डॉक्टरों का कहना है कि कोविशील्ड रक्त के थक्के जमने और हार्ट ब्लॉकेज जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याओं का कारण नहीं है। केजीएमयू, लखनऊ के न्यूरोलॉजी विभाग के अध्ययन ने वैक्सीन के किसी भी दुष्प्रभाव से इनकार किया। इस विभाग के शोध पत्रों को न्यूरोलॉजी इंडिया में जगह मिली है।

मस्तिष्क में खून के थक्के जमने का खुलासा

कोविड-19 (Covishield) के टीके के दुष्प्रभाव अत्यंत दुर्लभ हैं, डॉ. आर. के. गर्ग ने बताया कि कुल 136 व्यक्तियों में ही कोविड-19 टीके के दुष्प्रभाव देखे गए थे। यह टीकाकरण के शुरुआती दौर में हुआ था। इनमें से 10 व्यक्तियों में मस्तिष्क में खून का थक्का जमने के मामले सामने आए थे। इसके अलावा हरपीज के 31 मामले पाए गए थे। कुछ व्यक्तियों को मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन की समस्या भी हुई थी। सर्वाधिक व्यक्ति क्रियाशील न्यूरोलॉजिकल विकार से प्रभावित हुए थे।

उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, बंगाल और केरल से सबसे अधिक मामले सामने आए थे। 136 व्यक्तियों में टीकाकरण के मात्र दो-तीन सप्ताह बाद दुष्प्रभाव सामने आए थे। Covishield के टीकाकरण के दो-तीन साल बाद दुष्प्रभाव होने की संभावना नहीं है। यह केवल एक अफवाह है। कोविड हृदयाघात का कारण है डॉ. आर. के. गर्ग का कहना है कि कोविड महामारी के दौरान हृदय में रुकावट के मामले भी देखने को मिल रहे थे। मांसपेशियों में सूजन के कारण हृदय गति प्रभावित हो रही थी।

दरअसल, लॉकडाउन के कारण लोगों की जीवनशैली खराब हो गई थी। असंतुलित आहार के कारण मोटापा और मधुमेह का स्तर बढ़ गया था। ऐसी स्थिति में हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। हृदयाघात के शिकार हुए लोगों में प्री-डायबिटीज, प्री-हाइपरटेंशन और मोटापा जैसे कारण भी जिम्मेदार हैं। कई मामलों में बिना पर्याप्त वार्मअप के ज़ोरदार व्यायाम भी हृदयाघात का कारण बना।

डॉ. गर्ग कहते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए रोज़ाना पर्याप्त शारीरिक व्यायाम अत्यंत आवश्यक है। यदि आप रक्तचाप और शुगर के रोगी हैं तो नियमित अंतराल पर डॉक्टर से परामर्श लें और सुझाए गए मेडिकल टेस्ट कराएँ।

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