गर्मी के मौसम में शरीर को ज्यादा से ज्यादा पानी की जरुरत होती है ऐसी परिस्थिति में उन सब्जियों का महत्व बढ़ जाता है जो शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाती है । इस मामले में पालक एक अच्छा विकल्प है, यह हरी पत्तेदार सब्जी है। यह सबसे जल्दी तैयार होने वाले फसलों में से एक है जो लगभग 30 से 35 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। दूसरी सब्जियों की तुलना में कम लागत लगती है, किसान पालक के लागत मूल्य को ध्यान में रखते हुए पालक की खेती बड़े पैमाने पर कर सकते है। पालक की सब्जियां विटामिन ए और सी के साथ-साथ प्रोटीन और कैल्शियम, खेती के लिए आयरन, फास्फोरस आदि जैसे खनिजों से भरपूर होती हैं।
यदि बरसात में पालक की खेती की जाय तो इसमें सिंचाई की भी आवश्यकता नहीं होती है। पालक की बाजार में साल भर मांग बनी रहती हैं, ऐसे में किसान अगर इस खरीफ सीजन में पालक की खेती पर जोर देंगे तो उन्हें अच्छा मुनाफा हो सकता है। यदि प्रति हैक्टेयर की दर से अनुमान लगाया जाए तो 150 से 250 क्विंटल तक की उत्पादन की जा सकता है।
पालक की बुवाई का उचित समय
वैसे इसकी खेती के लिए सबसे अच्छा महीने दिसंबर होता है, उचित वातावरण में पालक की बुवाई वर्ष भर की जा सकती है। पालक की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुवाई जनवरी-फरवरी, जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर में की जा सकती है, जिससे पालक की अच्छी पैदावार प्राप्त होती है।
भारत में पालक की अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में आल ग्रीन, पूसा हरित, पूसा ज्योति, बनर्जी जाइंट, जोबनेर ग्रीन हैं
देख रेख
पालक को सबसे ज्यादा खतरा कीड़ो से होता है और खरपतवारों से 60% से ज्यादा हानि होती है। इसलिए पालक से अच्छी आमदनी कमाने के लिए इन्हें खरपतवारों से बचाना जरुरी है। पालक की बुआई करने के तुरंत बाद पेंडीमेथिलिन का छिड़काव करना चाहिए.परन्तु इस बात का ध्यान रहे की जब खेत में नमी बनी रहे तब इसका छिड़काव करें। पालक खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे उत्तम है।
पालक की बुवाई करने के बाद लगभग 30 दिनों के बाद जब पत्तियों की लंबाई 15 से 30 सेंटीमीटर तक हो जाए तो पहली कटाई कर देनी चाहिए। कटाई करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों की जड़ों से 5-6 सेंटीमीटर ऊपर तक ही पत्तियों की कटाई करें
पालक सेवन से फायदा
पालक नाइट्रेट का समृद्ध स्रोत है, जो हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में मदद करता है। नाइट्रेट रक्त प्रवाह में सुधार करने में सहायक होता है। अगर आप हाई बीपी से परेशान हैं, तो रोजाना पालक का जूस पी सकते हैं, इससे हाई बीपी कंट्रोल होने में मदद मिल सकती है। पालक में मैगनीज, कैरोटीन, आयरन, आयोडीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम और आवश्यक अमीनो एसिड भी पाए जाते हैं जो शरीर को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाते हैं ।
पालक के सेवन से स्किन सम्बन्धी रोग भी होने का खतरा काम हो जाता है, स्किन की असमय झुर्रियों को भी नियंत्रित करता है पालक ।
सबसे अच्छी बात इसकी होम(किचन) गार्डेनिंग भी की जा सकती है