Thursday, May 16, 2024
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2024 में किसानों के लिए वरदान साबित होगी ड्रिप सिंचाई

ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) क्या है समझाइए?

आज के दौर में खेती के लिए सिचाई की व्यवस्था एक बड़ी समस्या है , आज किसान सत्ता की #FarmingTips में हम बताते है की किसान ड्रिप सिचाई (Drip Irrigation) खेती से न सिर्फ पानी की बचत कर सकता है बल्कि सब्सिडी का लाभ ले सकता है। ड्रिप सिचाई के साथ सबसे बड़ी बात यह है की किसान अपने पोधो को पानी के साथ साथ जरुरी पोषक तत्व भी पंहुचा सकता है

(Drip Irrigation)

परंपरागत खेती के तरीकों में भूगर्भ जल का 85 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है। एक क्विंटल धान पैदा करने में ढाई लाख लीटर पानी खर्च होता है। किसान ड्रिप सिंचाई पद्धति को अपनाकर पानी की बर्बादी रोक सकता है । (Drip irrigation) ड्रिप या फव्वारा विधि से सिचाई करने से पानी की बचत के साथ साथ उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है , सबसे बड़ी बात आपको एक बार सेटअप लगाने के बाद ज्यादा मैन पावर की भी जरुरत नहीं पड़ती

ड्रिप सिंचाई में उपयोगी उपकरण : 

  • मोटर पंप – पानी की आपूर्ति के लिए
  • फ़िल्टर यूनिट – पानी को छानने में उपयोगी
  • फ्रटीगेशन यूनिट – पानी में खाद मिलाने की वयवस्था
  • प्रेशर गेज – पानी के दाब को मापने का यंत्र

खेत में ड्रिप (Drip irrigation) विधि का इस्तेमाल करने के लिए पौधों की दूरी निर्धारित होना आवश्यक है । किसान एक निश्चित दुरी पर पोधो / बीज को लगाने के बाद पाइप की मदद से उसमे सुराख कर दे जिससे पानी की बूंद बराबर पौधों पर गिरती रहे । इसके लिए खेत में एक बड़ी टंकी लगनी होती है , जबकि फव्वारा विधि में मोटर से पानी सप्लाई के जरिए पौधों को फुहारें दी जाती हैं। ड्रिप विधि में प्रति हेक्टेयर 1.15 लाख रुपये लागत आती है। इसमें सरकार की ओर से 90 फीसदी तक अनुदान मिलता है। किसान इसके लिए आवेदन कर सकता है।

टपक सिंचाई के लाभ :

  • टपक सिंचाई में जल उपयोग दक्षता 95 प्रतिशत तक होती है जबकि पारम्परिक सिंचाई प्रणाली में जल उपयोग दक्षता लगभग 50 प्रतिशत तक ही होती है।
  • इस सिंचाई विधि में जल के साथ-साथ उर्वरकों को अनावश्यक बर्बादी से रोका जा सकता है।
  • टपक सिंचाई विधि से सिंचित फसल की तीव्र वृद्धि होती है फलस्वरूप फसल शीघ्र परिपक्व होती है।
  • इस सिंचाई विधि में फसलों की पैदावार 150 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
  • पारम्परिक सिंचाई की तुलना में टपक सिंचाई में 70 प्रतिशत तक जल की बचत की जा सकती है।
  • इस सिंचाई विधि के माध्यम से लवणीय, बलुई एवं पहाड़ी भूमियों को भी सफलतापूर्वक खेती के काम में लाया जा सकता है।

Drip Irrigation विधि से खेती के लिए सरकार की तरफ से ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जाती है जिससे किसान आसानी से इसे अपने खेतो में इसको लगा सके, वैसे तो यह विधि बड़े किसान के लिए ज्यादे फायदेमंद है लेकिन जलसंरक्षण के लिए अति उपयोगी इस विधि को प्रत्येक किसान अपना सकता है।

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