योग गुरु बाबा रामदेव ने जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों का समर्थन करते हुए कहा कि कुश्ती संघ के मुखिया को तुरंत गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह रोज बहन, बेटियों के बारे में बकवास करता रहता है।
भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहलवान पिछले एक महीने से जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं। पहलवानों के समर्थन में विभिन्न राजनीतिक दल, संगठन और खिलाड़ी लगातार आगे आ रहे हैं। इस बीच योग गुरु स्वामी रामदेव ने भी यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण सिंह का नाम लिए बगैर उन पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने पहलवानों के धरने का समर्थन करते हुए कहा कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर दुराचार व्यभिचार के आरोप लगाना यह बहुत ही शर्मनाक बात है।
कितना सख्त है POCSO एक्ट, जिसे बदलने की मांग कर रहे बृजभूषण
बृजभूषण सिंह यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह ने पॉक्सो एक्ट में बदलाव की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि इस कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है। ऐसे में जानते हैं इस कानून के बारे में साथ ही ये भी जानेंगे कि ये कितना सख्त है?
पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट। इस कानून को 2012 में लाया गया था। ये बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को अपराध बनाता है। ये कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों, दोनों पर लागू होता है। इसका मकसद बच्चों को यौन उत्पीड़न और अश्लीलता से जुड़े अपराधों से बचाना है। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों को बच्चा माना गया है और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। पॉक्सो कानून में पहले मौत की सजा नहीं थी, लेकिन 2019 में इसमें संशोधन कर मौत की सजा का भी प्रावधान कर दिया। इस कानून के तहत उम्रकैद की सजा मिली है तो दोषी को जीवन भर जेल में ही बिताने होंगे। इसका मतलब हुआ कि दोषी जेल से जिंदा बाहर नहीं आ सकता।
अयोध्या में 5 जून को होने वाली संतों की रैली की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे बृजभूषण सिंह ने कहा कि संतों की मदद से हम सरकार पर पॉक्सो कानून बदलने का दबाव बनाएंगे। बृजभूषण ने दावा किया कि पॉक्सो कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है। बच्चों, बुजुर्गों और संतों के खिलाफ इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक कि अधिकारी भी इससे अछूते नहीं हैं।