Monday, May 20, 2024
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क्या है कॉन्टैक्ट फार्मिंग

जैसा कि नाम से ही साफ है, कांट्रेक्ट फार्मिंग (Contract Farming) के तहत कृषि योग्य जमीन इस्तेमाल करने का अनुबंध होता है । कांट्रैक्ट फार्मिंग किसान के लिए फायदे का सौदा हो सकता है अगर अनुबंध पारदर्शी हो इसमें सरकार और बड़े किसान अपनी जमीन को पट्टे पर या कांट्रेक्ट(Contract or Agreement) पर दूसरे किसानों को खेती करने के लिये देती हैं. इस अनुबंध में जमीन के मालिक, सरकार, बड़े किसान और कृषिरत कंपनियां (Agriculture Firms) ही कांट्रेक्टर के रूप में काम करती हैं । इस अनुबंध के तहत खेती करने वाले किसान को अपनी उपज कांट्रेक्टर (Contractor) के हिसाब से ही बेचनी पड़ती है ।  इतना ही नहीं, इस अनुबंध में फसल के दाम पहले से ही तय कर लिये जाते हैं, कांट्रेक्ट फार्मिंग के तहत खेती करने वाले किसान को बीज, सिंचाई और मजदूरी आदि का खर्च नहीं उठाना पड़ता, खेती की लागत और उसकी तकनीक की जिम्मेदारी भी कांट्रेक्टर की ही होती है ।

 कांटेक्ट फार्मिंग (Contract Farming) के फायदे

  • अनुबंध खेती यानी कांट्रेक्ट फार्मिंग के तहत खेती करने वाले किसानों को लागत और नुकसान की चिंता नहीं करनी पड़ती ।
  • यह पूरी तरह से किसान के पक्ष में होता है, क्योंकि किसान को सिर्फ अपनी ज़मीन खेती के लिए देनी होती है, सबसे बड़ी बात इस अनुबंध  को किसान अपने तरीके से भी ड्राफ्ट करा सकता है ।
  • कांट्रेक्ट फार्मिंग के तहत उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है, जिससे कांट्रेक्टर को एक निश्चित रकम चुकानी  ही होती है ।
  • कांट्रैक्ट फार्मिंग का सबसे बड़ा लाभ किसान के हित में होता है की वह नई-नई तकनीक सीख सकता है, और आगे चलकर अनुबंध समाप्त होने के बाद अपनी खेती अपने हिसाब से कर सकता है ।
  • कांट्रेक्ट फार्मिंग के जरिये उगने वाली फसल बाजार में हाथोंहाथ बिक जाती है, किसानों को उपज की बिक्री के लिये मोलभाव नहीं करना पड़ता, और अपने फसल के लिए किस को मार्केटिंग की चिंता नहीं होती ।
  •  इस तरह के अनुबंध से युवा किसान एक स्टार्टअप के रूप में अच्छी शुरुआत कर सकते है ।
  •  इस अनुबंध का लाभ महिला / पुरुष कर्मियों को भी होता है, उन्हें अपने ही क्षेत्र में रोजगार मिल जाता है ।

 कांट्रैक्ट फार्मिंग में किसान के लिए चुनौतियां

  • वैसे तो कांट्रेक्ट फार्मिंग खेती करने से किसानों की खरीद-बिक्री की चिंता दूर होती है, लेकिन किसानों को अनुबंध के दौरान मन मुताबिक खेती करने की आज़ादी नहीं होती ।
  • कांट्रेक्ट के तहत बाजार में अच्छे दाम मिलने के बावजूद रजिस्टर्ड किसान खेत से निकली उपज को सिर्फ कांट्रेक्टर को ही बेच सकते हैं ।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग किसानों के लिए एक फायदे का सौदा हो सकता है अगर कांट्रेक्टर और किसानों के बीच आपसी संपर्क साफ हो , जिससे किसानों को झिझक ना हो और खेती आ रही समस्याओं का समय से निदान किया जा सके ।

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